भारतीय सेना की स्ट्राइक कोर सुदर्शन चक्र का थार के रेगिस्तान में चल रहा युद्धाभ्यास सिंधु सुदर्शन बुधवार को संपन्न हो गया। 2 माह से जारी इस युद्धाभ्यास में 40 हजार से अधिक सैनिकों के साथ सेना ने अपने सभी तरह के अत्यधुनिक हथियारों की क्षमता के साथ ही नई तकनीक को आजमाया। इस युद्धाभ्यास की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि इसमें सेना ने सैन्य टुकड़ियों के अलग-अलग समूह बना कर उन्हें रणक्षेत्र में उतार कर क्षमता को परखा।
थार के रेगिस्तान में चला यह युद्धाभ्यास कई किलोमीटर के दायरे में फैला रहा। इस दौरान सेना ने अत्यधुनिक हथियारों से सुसज्जित पैदल सेना के साथ ही सभी तरह की तोपों के साथ मोर्चा संभाला। साथ ही, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, ड्रोन, देश में विकसित हल्का लड़ाकू हेलिकॉप्टर ध्रुव और भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल किया।
युद्धाभ्यास के दौरान अलग-अलग समूह में बंटी सैन्य टुकड़ियों को युद्ध क्षेत्र में सामने आने वाली दिक्कतों को ध्यान में रख नए-नए टास्क दिए गए। इसे पूरा करने की सफलता की दर का आकलन वरिष्ठ सैन्य कमांडरों ने किया।
इस युद्धाभ्यास का मुख्य उद्देश्य यही था कि अलग-अलग समूह में बंटी सैन्य टुकड़ियां किस तरह आपस में बेहतर तालमेल बनाए रखते हुए दुश्मन पर एक साथ अलग-अलग दिशा से भीषण प्रहार कर सके।
युद्धाभ्यास के अंतिम 2 दिन तक दक्षिण कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एसके सैनी ने इसका जायजा लेकर सैन्य तैयारियों को परखा। युद्धाभ्यास के बाद उन्होंने कहा कि सेना प्रत्येक चुनौती से निपटने में सक्षम है। उन्होंने युद्धाभ्यास के माध्यम से सेना की तैयारियों पर संतोष व्यक्त किया।